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डायरिया के भय के बीच कुंडा के ग्राम में मासूम ईशा की मौत का असली कारण आया सामने

डायरिया के भय के बीच कुंडा के ग्राम में मासूम ईशा की मौत का असली कारण आया सामने

IMG-20240825-WA0017 डायरिया के भय के बीच कुंडा के ग्राम में मासूम ईशा की मौत का असली कारण आया सामने

घोरपेण्ड्री, कुंडा कबीरधाम: डायरिया को लेकर फैले भय के कारण क्षेत्र में किसी भी अप्रत्याशित मौत को अक्सर इस बीमारी से जोड़ दिया जाता है, भले ही वास्तविक कारण कुछ और हो। घोरपेण्ड्री गांव में हाल ही में 6 वर्षीय ईशा की दुखद मृत्यु के बाद भी यही धारणा बनी, जब उनकी मौत का कारण डायरिया मान लिया गया। हालांकि, चिकित्सीय जांच में यह स्पष्ट हुआ कि ईशा की मौत का कारण “स्वांस नली में पानी अटकने से हुई , न कि डायरिया और परिजनों एवं ग्राम वासियो के अनुसार बच्ची को सिकलिंग भी था ।

घटना का विवरण:
मृतका = ईशा चंद्राकर पिता अनिल चंद्राकर उम्र 6 वर्ष निवासी ग्राम – घोरपेण्डरी (कोलेगांव कुंडा )

दिनांक 24/08/24 को रात्रि 09.40 में सामु. स्वा. केन्द्र पण्डरिया में लाया गया था। डॉक्टर द्वारा बच्ची का भर्ती बनाकर इलाज शुरू किया गया, बच्ची को प्राथमिक उपचार के बाद बच्ची को वार्ड में शिफट किया गया तब तक बच्ची की तबीयत स्थिर थी और सही थी,25/08/24 को रात्रि में लगभग 01.27 में परिजनों द्वारा मृतका की हालत खराब होना बताया गया । परजिनों से पुछने पर बताया गया की मरीज की हालत उसको पानी पिलाते समय अटकने के बाद बच्ची की खराब हुआ मरीज को बिस्तर पर लेटे हुए पानी पिलाया गया। बिस्तर पर लेटे हुए पानी पीलाने से संभवतः मरीज के श्वास नली एवं फेफड़े में पानी जाने से मरीज की हालत खराब हुई। 01.27 रात्रि को शुरूआती जांच में मृतका का पल्स और हार्ट बीट नहीं मिल रहा था। 01.30 रात्रि को जीवन रक्षक प्रक्रिया शुरू किया 30 मिनट के जीवन रक्षक के प्रयास के बाद भी मृतका को पुनर्जीवित नहीं किया
जा सका। डॉ. द्वारा बच्ची को 02.00 रात्रि मृत घोषित किया गया।
– कारण – बच्ची को सिकलिंग की समस्या था और कुछ दिन पहले इनके परिवार में दशगात्र का कार्यक्रम था जिसमे खाना पीना के बाद ऐसी शिकायत सामने आई।
जून से ही ऐसे क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिविर संचालित है जिसमे ऐसे मरीज की खोज की जा रही है एवं ग्राम में ही शिविर और अस्थाई स्वास्थ्य केंद्र बनाकर इलाज चालू किया जा रहा है जिससे लोगो को सही समय में समय में लाभ मिल सके।

डायरिया का भ्रम और समाज पर इसका प्रभाव:

इस घटना ने इस ओर इशारा किया कि कैसे डायरिया को लेकर समाज में फैले भ्रम के कारण लोग गलत निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं। इससे पहले भी कई बार देखा गया है कि सही जानकारी के अभाव में लोग जल्दबाजी में अनधिकृत चिकित्सा सेवाओं का सहारा लेते हैं, जिससे स्थिति और भी खराब हो सकती है।

समाज के लिए संदेश:

यह घटना बताती है कि किसी भी बीमारी के लक्षण का कारण डायरिया नहीं माना जाना चाहिए। बिना प्रमाण के किसी बीमारी के बारे में भय फैलाने से बचना चाहिए और इसके बजाय सही जानकारी और जागरूकता पर जोर देना चाहिए। डायरिया जैसी समस्या के लिए उचित समय पर चिकित्सा सेवाएं प्राप्त करना आवश्यक है, ताकि किसी भी तरह की गंभीर स्थिति से बचा जा सके।

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